Thursday, 2 December 2021

ರಾಮ ಭಜನ್ ಭಜ ಮನ ಚರಣ ಸುಖದಾಯಿ ತುಲಸಿದಾಸ ವಿರಚಿತಮ್ RAMA BHAJAN by tulasidas राम चरण सुखदाई भज मन राम चरण सुखदाई




भज मन राम चरण सुखदाई
bhaj man raam charan sukhdayi


भज मन राम चरण सुखदाई

जिहि चरननसे निकसी सुरसरि संकर जटा समाई ।
जटासंकरी नाम परयो है, त्रिभुवन तारन आई ॥

जिन चरननकी चरनपादुका भरत रह्यो लव लाई ।
सोइ चरन केवट धोइ लीने तब हरि नाव चलाई ॥

सोइ चरन संत जन सेवत सदा रहत सुखदाई ।
सोइ चरन गौतमऋषि-नारी परसि परमपद पाई ॥

दंडकबन प्रभु पावन कीन्हो ऋषियन त्रास मिटाई ।
सोई प्रभु त्रिलोकके स्वामी कनक मृगा सँग धाई ॥

कपि सुग्रीव बंधु भय-ब्याकुल तिन जय छत्र फिराई ।
रिपु को अनुज बिभीषन निसिचर परसत लंका पाई ॥

सिव सनकादिक अरु ब्रह्मादिक सेष सहस मुख गाई ।
तुलसीदास मारुत-सुतकी प्रभु निज मुख करत बड़ाई ॥
श्रेणीराम भजन
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भज मन राम चरण सुखदाई .
जिहि चरननसे. निकसी
सुरसरि, संकर जटा. समाई ।
जटासंकरी. नाम परयो है.
त्रिभुवन तारन आई ॥
सोइ चरन, संतन जन से.वत,
सदा रहत सुखदाई ।
सोइ चरन गौतमऋषि-नारी,
परसि परम, पद पाई ॥
कपि-सुग्रिव, बंधू. भय
ब्याकुल, तिन जय छत्र
फिराई ।
रिपु को अनुज बिभीषन
निसिचर, परसत लंका पाई ॥
सिव सनकादिक, अरु
ब्रह्मादिक, सेष सहस
मुख गाई ।
तुलसीदास, मारुत-सुतकी
प्रभु, निज मुख, करत

बड़ाई
***
anup ja

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